दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज में सहायक पद के लिए शनिवार को हुई परीक्षा कथित पक्षपात की भेंट चढ़ गई। एक अभ्यर्थी जो पहले से अस्थायी तौर से कॉलेज से जुड़ा है, उसके परीक्षा कक्ष से बाहर जाकर उत्तर पुस्तिका (ओएमआर शीट) भरने के मामले ने तूल पकड़ लिया। कक्ष संख्या-23 में परीक्षा दे रहे दूसरे अभ्यर्थी तब हैरान रह गए जब रंजीत सिंह नाम का एक युवक ओएमआर शीट लेकर न केवल बाहर चला गया बल्कि युवक की इस हरकत को कॉलेज के पर्यवेक्षकों ने नजरअंदाज कर दिया।

अभ्यर्थियों ने कॉलेज प्रशासन पर मिलीभगत से अपने अस्थायी कर्मचारी को स्थायी करने का आरोप लगाया। इस पक्षपात को लेकर अभ्यर्थियों ने दूसरी पाली की परीक्षा का बहिष्कार करने की धमकी दी। कुछ छात्रों ने परीक्षा कक्ष से बाहर निकलने और मामले को मीडिया व थाने तक ले जाने की घोषणा कर दी। इसके बाद आरोपी युवक फरार हो गया। परीक्षार्थियों का दावा है कि आरोपी काफी पहले से कॉलेज से जुड़ा है।

वहीं कॉलेज प्रशासन ने पहले तो मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की, लेकिन जब मामला थाने पहुंचा तो प्राचार्य ने परीक्षा रद्द कर दी और पूरे मामले की जांच के लिए समिति बनाने व दोबारा परीक्षा की तारीख घोषित करने की बात कही। लाजपत नगर थाने की पुलिस ने मामले की पुष्टि की और कहा कि प्राचार्य से पूछताछ की गई है। कॉलेज के प्राचार्य ने कहा कि मामले के संज्ञान में आते ही परीक्षा रद्द कर दी गई। एक समिति बनाई जा रही है जो मामले की जांच कर रिपोर्ट देगी। जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। मामले को विश्वविद्यालय के संज्ञान में लाया जा चुका है। वहीं शनिवार शाम को सामने आए आरोपी रंजीत सिंह ने कहा कि वे फरार नहीं हैं। उन्होंने आरोप पर अपनी सफाई प्राचार्य को दे दी है।

वहीं कॉलेज परिसर के बाहर मौजूद छात्रों ने बताया कि अप्रैैल में कॉलेज में सहायक पदों पर स्थायी भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए थे। यहां वरिष्ठ सहायक, सहायक, कनिष्ठ सहायक आदि के कई पदों के लिए परीक्षाए हुर्ईं और कुछ आगे भी होनी हैं। शनिवार को भी दो पालियों में परीक्षा होनी थी, जिसके लिए सैकड़ों की तादाद में अभ्यर्थी पहुंचे थे। जैसे ही परीक्षा शुरू हुई, कमरा नंबर-23 में यह घटना हो गई और हंगामा मच गया। कॉलेज के कर्मचारियों ने यह कहकर स्थिति संभालने की कोशिश की कि आरोपी युवक की कॉपी नहीं ली जाएगी। वह भाग गया है, बाकी लोग परीक्षा दें। लेकिन अभ्यिर्थियों ने तर्क दिया कि हो सकता है कि ऐसे और लोग भी हों। लिहाजा परीक्षा रद्द होनी चाहिए। उन्होंने दूसरी पाली की परीक्षा न देने की चेतावनी भी दी।